रथयात्रा कब है | रथयात्रा क्यों मनाया जाता हैं | रथयात्रा का इतिहास | रथयात्रा निबंध

रथयात्रा 2022 कब हैं | रथयात्रा किस दिन मनाया जाता हैं | रथयात्रा की कथा | रथयात्रा पर निबंध | Rath Yatra Essay in Hindi

आज आप इस लेख के माध्यम से Jagannath Rath Yatra Kab Hai, Rath Yatra Kab Manaya Jata Hai, Rath Yatra History in Hindi, Rath Yatra Ahmedabad, Rath Yatra in English एवं Rath Yatra Date 2022 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगे.

 

जगन्नाथ रथयात्रा हिंदी में - Jagannath Rath Yatra in Hindi

रथयात्रा पर्व भारतवर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व हैं. रथयात्रा  पर्व पूरे देश में बहुत ही श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं लेकिन सबसे ज्यादा भव्य आयोजन उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में होता हैं.

उड़ीसा का जगन्नाथपुरी मंदिर भारत के चार धाम में से एक धाम हैं. जगन्नाथपुरी को सामान्यतः पुरी के नाम से भी जाना जाता हैं.

जगन्नाथपुरी का मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में हैं. जगन्नाथपुरी मंदिर में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान्  बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा की पूजा अर्चना की जाती हैं .

रथयात्रा पर्व की शुरुआत आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को होती हैं.

रथयात्रा पर्व को मनाने के लिए देश विदेश से श्रद्धालु उड़ीसा के जगन्नाथपुरी मंदिर पहुँचते हैं. रथयात्रा पर्व और देश में मनाये जाने वाले अन्य पर्व में बहुत अंतर हैं.

रथयात्रा पर्व में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान् बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा को रथ पर विराजमान करके रथयात्रा निकाली जाती हैं.

वही देश में मनाये जाने वाले अन्य पर्व घर, मंदिर में पूजा- अर्चना, व्रत आदि करके मनाये जाते हैं.

रथयात्रा पर्व देश के कई राज्यों में बहुत ही श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं लेकिन देश में उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की रथयात्रा एवं अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा बहुत ही भव्य एवं आकर्षक ढंग से मनाई जाती हैं.

वैसे उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की रथयात्रा पूरे विश्व में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं. उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की रथयात्रा बहुत ही आकर्षक एवं विशाल रूप में आयोजित की जाती हैं.

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रथयात्रा क्या हैं हिंदी में - What is Rath Yatra in Hindi

रथयात्रा पर्व भारतवर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व हैं. रथयात्रा पर्व पूरे देश में बहुत ही श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं लेकिन सबसे ज्यादा भव्य आयोजन उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में होता हैं.

जगन्नाथपुरी को सामान्यतः पुरी के नाम से भी जाना जाता हैं. जगन्नाथपुरी का अन्य नाम शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र, पुरूषोत्तम पुरी भी हैं. जगन्नाथपुरी के निवासियों की भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) में अटूट श्रद्धा हैं. जगन्नाथपुरी मंदिर में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान् बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा की पूजा अर्चना की जाती हैं.

रथयात्रा पर्व की शुरुआत आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को होती हैं. रथयात्रा पर्व में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान्  बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान् बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा को रथ पर विराजमान करके रथयात्रा निकाली जाती हैं.

रथयात्रा पर्व देश के कई राज्यों में बहुत ही श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं लेकिन देश में उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की रथयात्रा एवं अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा बहुत ही भव्य एवं आकर्षक ढंग से मनाई जाती हैं. वैसे उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की रथयात्रा पूरे विश्व में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं.

उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की रथयात्रा बहुत ही आकर्षक एवं विशाल रूप में आयोजित की जाती हैं. रथयात्रा पर्व का कार्यक्रम 10 दिनों तक चलता रहता हैं.

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रथयात्रा कब है | रथयात्रा क्यों मनाया जाता हैं  | रथयात्रा का इतिहास | रथयात्रा निबंध

रथयात्रा कब मनाया जाता है हिंदी में - When is Rathayatra celebrated in Hindi

रथयात्रा पर्व की शुरुआत आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को होती हैं. रथयात्रा पर्व में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान् बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा को रथ पर विराजमान करके रथयात्रा निकाली जाती हैं.

कहा जाता है कि भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान्  बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि से आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की दशमी तिथि तक अपने भक्तों के मध्य रहते हैं इसलिए भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा पर्व का कार्यक्रम 10 दिनों तक चलता रहता हैं.

भगवान् जगन्नाथ को भगवान् श्री कृष्ण एवं राधा की युगल मूर्ति का प्रतिरूप मानते हैं. भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा पर्व की तैयारी बसंत पंचमी से शुरू हो जाती हैं .

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान् बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा का रथ नीम के पेड़ की लकड़ियों से बनाया जाता हैं.

रथ निर्माण में किसी भी तरह की धातु का प्रयोग नहीं किया जाता हैं, पूरे रथ का निर्माण सिर्फ लकड़ियों द्वारा ही किया जाता हैं.

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भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा 2022 किस दिन व तारीख को हैं - On which day and date is Jagannath Rath Yatra 2022 in Hindi

भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा पर्व की शुरुआत आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को होती हैं.

भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा पर्व वर्ष 2022 में दिनांक 01-07-2022 (01 जुलाई) दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा.

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पुरी रथयात्रा पर्व क्यों मनाया जाता हैं हिंदी में - Why Puri Ratha Yatra Festival is celebrated in Hindi

पुरी रथयात्रा पर्व प्रत्येक वर्ष पूरे देश में बहुत ही श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं. पुरी रथयात्रा पर्व को मनाने के लिए कई पौराणिक मान्यताएं हैं.

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भगवान् जगन्नाथ की कहानी हिंदी में - Story of Lord Jagannath in Hindi

पुरी रथयात्रा पर्व को मनाने के लिए बहुप्रचलित प्रथम मान्यता यह है कि एक बार भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान् बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा ने भगवान् जगन्नाथ से द्वारिका नगरी के दर्शन करने की इच्छा प्रकट की थी.

तब भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) ने बहन देवी सुभद्रा की इच्छा पूरी करने के लिए रथ से पूरी द्वारिका नगरी का भ्रमण करवाया था. तभी से प्रत्येक वर्ष भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान्  बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान् बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा को रथ पर विराजमान करके रथयात्रा निकाली जाती हैं.

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जगन्नाथ स्वामी की कथा हिंदी में, जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य - Jagannath Swami Story in Hindi, Mystery of Jagannath Statue

पुरी रथयात्रा पर्व को मनाने के लिए बहुप्रचलित द्वितीय मान्यता यह है कि राजा इंद्रद्युम्न सपरिवार नीलांचल सागर (उड़ीसा क्षेत्र) में रहा करते थे.

एक बार राजा इंद्रद्युम्न समुद्र किनारे सैर कर रहे थे. सैर करते हुए अचानक समुद्र में एक सुन्दर  विशाल लकड़ी को तैरता हुआ देखते हैं.

राजा इंद्रद्युम्न ने समुद्र से उस सुन्दर विशाल लकड़ी को निकलवाया. वह लकड़ी बहुत सुन्दर थी.उस लकड़ी की सुन्दरता से मोहित होकर राजा इंद्रद्युम्न ने उस लकड़ी से भगवान् जगदीश (भगवान् विष्णु) की मूर्ति बनवाने के बारे में सोचा.

राजा इंद्रद्युम्न उस लकड़ी से भगवान् जगदीश (भगवान् विष्णु) की मूर्ति बनवाने के बारे में सोच ही रहे थे कि तभी देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी एक वृद्ध बढ़ई के रुप में प्रकट हो गए.

राजा इंद्रद्युम्न ने उस लकड़ी से भगवान् जगदीश (भगवान् विष्णु) की मूर्ति बनाने के लिए वृद्ध बढ़ई (देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी) से निवेदन किया.

राजा इंद्रद्युम्न के निवेदन को स्वीकार करते हुए वृद्ध बढ़ई (देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी) ने राजा इंद्रद्युम्न के समक्ष एक शर्त रखी कि जबतक मै भगवान् जगदीश (भगवान् विष्णु) की मूर्ति बनाऊंगा तब तक उस कक्ष में कोई भी व्यक्ति नहीं आएगा. राजा इंद्रद्युम्न ने वृद्ध बढ़ई (देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी) की शर्त को मान लिया.

वर्तमान समय में उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में जिस स्थान पर भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) जी का मंदिर स्थित हैं उसी स्थान पर वृद्ध बढ़ई (देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी) ने भगवान् जगदीश (भगवान् विष्णु) की मूर्ति निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया.

राजा इंद्रद्युम्न एवं उनके परिवार को यह जानकारी नहीं थी कि वह वृद्ध बढ़ई साक्षात देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी हैं .

कई दिन व्यतीत हो जाने के बाद महारानी ने सोचा कि वह वृद्ध बढ़ई (देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी) कई दिनों से बिना खाए पिए कही मृत तो नहीं हो गया हैं.

यह बात महारानी ने राजा इंद्रद्युम्न से कही और फिर राजा इंद्रद्युम्न ने उस कक्ष के द्वार को खुलवाया.

कक्ष के द्वार को खुलने पर राजा इंद्रद्युम्न ने देखा कि उस कक्ष में वृद्ध बढ़ई (देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी) तो है ही नहीं और वहां पर सुन्दर विशाल लकड़ी द्वारा निर्मित भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और बहन देवी सुभद्रा की अर्द्धनिर्मित मूर्तियाँ मौजूद हैं.

यह देखकर राजा इंद्रद्युम्न और महारानी अत्यधिक दु:खी हो गए कि तभी वहां एक आकाशवाणी हुई कि राजन व्यर्थ दु:खी मत हो, हम इसी स्वरुप  में रहना चाहते हैं मूर्तियों को द्रव्य इत्यादि द्वारा पवित्र करके स्थापित करवा दो.

आज भी उस सुन्दर विशाल लकड़ी द्वारा निर्मित भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और बहन देवी सुभद्रा की अर्द्धनिर्मित मूर्तियाँ उड़ीसा के जगन्नाथपुरी स्थित भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) जी के मंदिर में स्थापित हैं.

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भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा का इतिहास क्या हैं हिंदी में - What is the history of Jagannath Rath Yatra in Hindi

रथयात्रा पर्व भारतवर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व हैं. रथयात्रा पर्व पूरे देश में बहुत ही श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं लेकिन सबसे ज्यादा भव्य आयोजन उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में होता हैं.

उड़ीसा का जगन्नाथपुरी मंदिर भारत के चार धाम में से एक धाम हैं. जगन्नाथपुरी को सामान्यतः पुरी के नाम से भी जाना जाता हैं.

उड़ीसा का जगन्नाथपुरी मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में हैं. जगन्नाथपुरी मंदिर में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) एवं भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) और भगवान्  बलभद्र (बलराम) की बहन देवी सुभद्रा की पूजा अर्चना की जाती हैं. जगन्नाथपुरी की रथयात्रा पर्व का इतिहास बहुत ही पुराना हैं.

रथयात्रा पर्व का प्रारंभ सन् 1150 ईस्वी में गंगा राजवंश द्वारा किया गया था और वर्तमान समय में यह रथयात्रा पर्व देश - विदेश में श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं.

रथयात्रा पर्व के बारे में प्रसिद्ध यात्री मार्को पोलो ने भी अपने वृत्तांतों में सम्पूर्ण वर्णन किया है.

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भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा पर्व में क्या होता हैं हिंदी में - What happens in Jagannath Rath Yatra Festival in Hindi

भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा पर्व के पीछे एक बहुप्रचलित मान्यता हैं कि भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) का जन्म ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हुआ था. इसलिए प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को रत्नजडित सिंहासन से उतारकर भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) जी के मंदिर के निकट स्नान मंडप में ले जाते हैं.

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को स्नान मंडप में ले जाने के बाद उनको 108 कलशों के द्वारा शाही स्नान करवाया जाता हैं.

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा के शाही स्नान करने के कारण भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को ज्वर (बुखार) आ जाता हैं और भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा अस्वस्थ हो जाते हैं.

अस्वस्थता काल में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को एक अतिविशेष स्थान में रखते हैं जिसे ओसर घर कहा जाता हैं.

अस्वस्थता काल में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को एक अतिविशेष प्रकार का काढ़ा भोग लगाया जाता हैं.

इस अतिविशेष प्रकार के काढ़े से भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा 15 दिवस के बाद स्वस्थ हो जाते हैं और ओसर घर से निकलकर अपने भक्तगणों को दर्शन देते हैं. इसे नवयौवन नेत्र उत्सव कहा जाता हैं.

इसके बाद आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को रथ में बैठकर उनको नगर भ्रमण कराया जाता हैं.

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भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा पर्व कैसे मनाया जाता हैं हिंदी में - How is Jagannath Puri Rathayatra Festival celebrated in Hindi

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को नगर भ्रमण कराने हेतु तीन रथ का निर्माण किया जाता हैं.

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को नगर भ्रमण कराने हेतु तीनों रथों का निर्माण पूर्ण हो जाने के बाद छर पहनरा अनुष्ठान किया जाता हैं.

छर पहनरा अनुष्ठान पूर्ण करने के बाद स्वर्ण निर्मित झाड़ू से रथ एवं जिस मार्ग से रथ जायेगा उस मार्ग को साफ़ एवं स्वच्छ किया जाता हैं.

इसके बाद आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा प्रारम्भ होती हैं.

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा को रथ में बैठाकर बैंड बाजे, ढोल नगाड़े एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उनको नगर भ्रमण कराया जाता हैं.

कहा जाता हैं कि भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा के रथ को जो व्यक्ति खींचता हैं उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.

भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा, भगवान् जगन्नाथ मंदिर से प्रारम्भ होती हैं और जगन्नाथ पुरी शहर के निश्चित मार्गों से होते हुए गुंडीचा मंदिर जाती हैं.

भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा में सर्वप्रथम सबसे आगे भगवान् बलभद्र का रथ चलता है फिर इसके बाद देवी सुभद्रा का रथ होता है और आखिरी में भगवान् जगन्नाथ का रथ चलता हैं. इन रथों को श्रद्धालु श्रद्धा के साथ मोटे मोटे रस्सों के द्वारा खींचते हैं .

गुंडीचा मंदिर को भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा की मौसी का निवास स्थान माना जाता हैं.

यदि सूर्यास्त होने तक तीनो रथों में से कोई भी रथ गुंडीचा मंदिर तक नहीं पहुँचता है तो वह रथ अगले दिवस गुंडीचा मंदिर तक की यात्रा पूरी करता हैं .

गुंडीचा मंदिर में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा 7 दिवस तक प्रवास करते हैं और यही पर भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा की श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती हैं.

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा का रथ 10 वे दिवस वापस भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) मंदिर के लिए प्रस्थान करता हैं.

भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा, भगवान् जगन्नाथ मंदिर पहुँचने के बाद भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा की प्रतिमायें भक्तों के दर्शनार्थ रथ में ही विराजमान रखी जाती हैं.

11 वे दिवस को भगवान् जगन्नाथ मंदिर का द्वार भक्तगणों (जगन्नाथ पुरी दर्शन का समय) के लिए खोल दिया जाता हैं और इस तरह भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा पर्व का समापन हो जाता हैं.

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा की रथयात्रा को बहुड़ा यात्रा भी कहा जाता हैं.

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भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के रथों का सम्पूर्ण विवरण - Complete description of Chariots of Jagannath Puri Rath Yatra in Hindi

भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के रथों का निर्माण अक्षय तृतीया के दिवस से प्रारंभ हो जाता हैं. भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के रथों का निर्माण प्रत्येक वर्ष नए तरीकों से होता हैं.

भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के तीनों रथों को उनके रंग, लम्बाई द्वारा पहचाना जा सकता हैं.

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भगवान् जगन्नाथ जी का रथ - Chariot of Lord Jagannath

1 - भगवान् जगन्नाथ जी के रथ का नाम नंदीघोष / गरुड़ध्वज / कपिलध्वज हैं.

2 - भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) जी के रथ की ऊंचाई 45 फीट होती हैं.

3 - यह रथ 16 पहियों वाला होता हैं और प्रत्येक पहियों का व्यास 7 फीट होता हैं.

4 - भगवान् जगन्नाथ जी के रथ को लाल एवं पीले कपड़ों के द्वारा सजाया जाता हैं.

5 - भगवान् जगन्नाथ जी के रथ की सुरक्षा गरुड़ करते हैं.

6 - भगवान् जगन्नाथ जी के रथ के सारथि का नाम दारुका हैं.

7 - भगवान् जगन्नाथ जी के रथ में लहराने वाले झंडे को त्रैलोक्यमोहिनी कहते हैं.

8 - इस रथ में चार घोड़े होते हैं.

9 - भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) जी के रथ में वर्षा, गोबर्धन, कृष्णा, नरसिंघा, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान और रूद्र विराजित रहते हैं.

10 - भगवान् जगन्नाथ जी के रथ को खींचने वाली रस्सी को शंखचुडा नागनी कहते हैं.

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भगवान् बलभद्र जी का रथ - Chariot of Lord Balabhadra

1 - भगवान् बलभद्र (बलराम) जी के रथ का नाम तलध्वज / लंगलाध्वज हैं.

2 - भगवान् बलभद्र जी के रथ की ऊंचाई 43 फीट होती हैं.

3 - यह रथ 14 पहियों वाला होता हैं.

4 - भगवान् बलभद्र जी के रथ को लाल, नीले एवं हरे रंग के कपड़ों के द्वारा सजाया जाता हैं.

5 - भगवान् बलभद्र (बलराम) जी के रथ की सुरक्षा वासुदेव करते हैं.

6 - भगवान् बलभद्र (बलराम) जी के रथ के सारथि का नाम मताली हैं.

7 - भगवान् बलभद्र (बलराम) जी के रथ में लहराने वाले झंडे को उनानी कहते हैं.

8 - भगवान् बलभद्र (बलराम) जी के रथ में गणेश, कार्तिक, सर्वमंगला, प्रलाम्बरी, हटायुध्य, मृत्युंजय, नाताम्वारा, मुक्तेश्वर और शेषदेव विराजित रहते हैं.

9 - भगवान् बलभद्र (बलराम) जी के रथ को खींचने वाली रस्सी को बासुकी नागा कहते हैं.

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देवी सुभद्रा जी का रथ - Chariot of Goddess Subhadra

1 - देवी सुभद्रा जी के रथ का नाम देवदलन / पद्मध्वज हैं.

2 - देवी सुभद्रा जी के रथ की ऊंचाई 42 फीट होती हैं.

3 - यह रथ 12 पहियों वाला होता हैं.

4 - देवी सुभद्रा जी के रथ को लाल एवं काले रंग के कपड़ों के द्वारा सजाया जाता हैं.

5 - देवी सुभद्रा जी के रथ की सुरक्षा जयदुर्गा करते हैं.

6 - देवी सुभद्रा जी के रथ के सारथि का नाम अर्जुन हैं.

7 - देवी सुभद्रा जी के रथ में लहराने वाले झंडे को नंद्बिक कहते हैं.

8 - देवी सुभद्रा जी के रथ में चंडी, चामुंडा, उग्रतारा, वनदुर्गा, शुलिदुर्गा, वाराही, श्यामकली, मंगला और विमला विराजित रहती हैं.

9 - देवी सुभद्रा जी के रथ को खींचने वाली रस्सी को स्वर्णचुडा नागनी कहते हैं.

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क्रमांक

किसका रथ है

रथ का नाम

रथ में मौजूद पहिये

रथ की ऊंचाई

लकड़ी की संख्या

1.

भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण)

नंदीघोष/गरुड़ध्वज/ कपिलध्वज

16

13.5 मीटर

832

2.

भगवान् बलभद्र (बलराम)

तलध्वज/लंगलाध्वज

14

13.2 मीटर

763

 

3.

देवी सुभद्रा

देवदलन/पद्मध्वज

12

12.9 मीटर

593

 

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भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा का महत्व हिंदी में - Importance of Rath Yatra in Hindi

जगन्नाथ पुरी शहर में स्थित भगवान् जगन्नाथ का मंदिर लगभग 800 वर्षों से भी पुराना है.

उड़ीसा का जगन्नाथपुरी मंदिर भारत के चार धाम में से एक धाम हैं. कहा जाता है कि भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा का रथ खींचने वाले बहुत भाग्यवान, सौभाग्यशाली होते हैं.

मान्यता हैं कि हैं कि भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण), भगवान् बलभद्र (बलराम) और उनकी बहन देवी सुभद्रा के रथ को जो व्यक्ति खींचता हैं उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.

यह भी मान्यता हैं कि भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) इस दिन भक्तों के बीच में जाकर उनके सुख दुःख में सहभाग करते हैं.

भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के पीछे एक और मान्यता हैं कि, वह भक्त जो भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा में भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) के समक्ष भक्तिसागर में डूबकर प्रेमभाव से प्रणाम करते हुए रथयात्रा मार्ग में धूल कीचड़ में लोटकर भगवान् जगन्नाथ के रथयात्रा में भाग लेता हैं उस भक्त को भगवान् श्री विष्णु के धाम में स्थान प्राप्त होता हैं.

पुराणों एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान् जगन्नाथ  की रथयात्रा सौ यज्ञों के समान होती हैं.

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विश्व में प्रसिद्ध भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा स्थल - Famous Lord Jagannath Rath Yatra Site in the world

भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा का पर्व देश-विदेश के कई शहरों में मनाया जाता हैं परन्तु कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ की रथयात्रा बहुत ही श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं.

1 - उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में स्थित भगवान् जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा

2 - पश्चिम बंगाल के हुगली स्थित भगवान् जगन्नाथ मंदिर की महेश रथयात्रा

3 - पश्चिम बंगाल के राजबलहट में स्थित भगवान् जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा

4 - अमेरिका के न्यूयार्क शहर में आयोजित होने वाली भगवान् जगन्नाथ की रथयात्रा

5 - अहमदाबाद में स्थित भगवान् जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा

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भगवान् जगन्नाथ मंदिर के निकट पर्यटन स्थल - Tourist Places near Jagannath Temple

उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में बहुत सारे पर्यटन स्थल हैं परन्तु सबसे मुख्य आकर्षण में यहाँ का भगवान् जगन्नाथ (भगवान् श्री कृष्ण) मंदिर, समुद्र तट हैं.

उड़ीसा में वैसे बहुत सारे पर्यटन स्थल जैसे - गुंडिचा मंदिर, पुरी बीच, चिलिका झील, पिपली गांव, कोणार्क मंदिर, साक्षीगोपाल मंदिर, रघुराजपुर कलाकार गांव आदि हैं जहाँ आप अवश्य भ्रमण करे.

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उड़ीसा के जगन्नाथपुरी पहुँचने का तरीका (साधन) - How to reach Jagannathpuri in Orissa

उड़ीसा राज्य भारत के सभी राज्यों से सड़क, रेल एवं हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ हैं. आप यहाँ बहुत ही आसानी से पहुँच सकते हैं.

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सड़क मार्ग द्वारा उड़ीसा के जगन्नाथपुरी कैसे जाये - How to reach Jagannathpuri, Orissa by Road

पुरी शहर देश के सभी राज्यों एवं प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ हैं. रथयात्रा महोत्सव के समय पुरी शहर देश के सभी राज्यों एवं प्रमुख शहरों से विशेष बस सेवा से जुड़ा रहता हैं.

पुरी शहर के लिए उड़ीसा राज्य के अन्य प्रमुख शहर कटक एवं भुवनेश्वर से 15 मिनट के अंतराल पर बस सेवा उपलब्ध रहती  हैं.

विशाखापत्तनम एवं कोलकाता शहर से पुरी शहर के लिए विशेष बस की व्यवस्था रहती हैं. आप प्राइवेट टैक्सी द्वारा भी बहुत आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं.

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हवाई मार्ग द्वारा उड़ीसा के जगन्नाथपुरी कैसे जाये - How to reach Jagannathpuri, Orissa by Air

पुरी शहर देश के सभी राज्यों एवं प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ हैं. पुरी शहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर बीजू पटनायक हवाई अड्डा स्थित हैं.

बीजू पटनायक हवाई अड्डा पुरी शहर से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है. बीजू पटनायक हवाई अड्डा पर प्राइवेट टैक्सी मिलती हैं जिससे आप बहुत आसानी से पुरी शहर पहुँच सकते हैं.

बीजू पटनायक हवाई अड्डा के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों जैसे - चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता, नागपुर, विशाखापट्टनम, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, लखनऊ, वाराणसी, भोपाल, जयपुर, अहमदाबाद, रायपुर इत्यादि से दैनिक हवाई सेवा हैं.

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रेल मार्ग द्वारा उड़ीसा के जगन्नाथपुरी कैसे जाये - How to reach Jagannathpuri, Orissa by Rail

पुरी शहर देश के सभी राज्यों एवं प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ हैं.

पुरी शहर के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों जैसे - चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता, नागपुर, विशाखापट्टनम, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, लखनऊ, वाराणसी, भोपाल, जयपुर, अहमदाबाद, रायपुर इत्यादि से दैनिक रेल सेवा हैं.

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Conclusion

मुझे उम्मीद हैं कि आज के Article रथयात्रा क्या है in Hindi पसंद आया होगा.

आज के Article में आपने रथयात्रा पर्व कब मनाया जाता है in Hindi, भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा 2022 किस दिन व तारीख को हैं in Hindi, पुरी रथयात्रा पर्व क्यों मनाया जाता हैं in Hindi, भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा का इतिहास क्या हैं in Hindi, भगवान् जगन्नाथ पुरी रथयात्रा पर्व कैसे मनाया जाता हैं in Hindi, भगवान् जगन्नाथ रथयात्रा पर्व का महत्व in Hindi के बारें में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त की हैं.

यदि आपको What is Rath Yatra in Hindi Full Information 2022 के सम्बन्ध में कोई सुझाव देना हो तो Comment कीजिये एवं Article रथयात्रा कब है in Hindi को अधिक से अधिक लोगों को Share कीजिये.

 

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